Tuesday 12 September 2017

श्रीराम और रावण के अन्तर का भगवती सीता द्वारा वर्णन

Sita describes the difference between Rama and Ravana
श्रीराम और रावण के अन्तर का भगवती सीता द्वारा वर्णन

Just before Ravana abducts Sita in the Valmiki Ramayana, Sita says this to him:
यदन्तरं सिंहशृगालयोर्वने यदन्तरं स्यन्दिनिकासमुद्रयोः।
सुराग्र्यसौवीरकयोर्यदन्तरं तदन्तरं वै तव राघवस्य च॥
यदन्तरं काञ्चनसीसलोहयोर्यदन्तरं चन्दनवारिपङ्कयोः।
यदन्तरं हस्तिबिडालयोर्वने तदन्तरं दाशरथेस्तवैव च॥
यदन्तरं वायसवैनतेययोर्यदन्तरं मद्गुमयूरयोरपि।
यदन्तरं सारसगृध्रयोर्वने तदन्तरं दाशरथेस्तवैव च॥
(वाल्मीकीयरामायणे ३.४७/४५–४७)
“The difference between you and Rama is the same as the difference between a jackal and a lion in the forest, the difference between a small river and the ocean, and the difference between sour gruel and the best drink (=nectar). Moreover, the difference between Rama and you is the same as the difference between gold and [an alloy of] lead-iron, the difference between sandalwood water and swamp, and the difference between an elephant and a cat in the forest. Moreover, the difference between Rama and you is the same as the difference between Garuda and a crow, the difference between a peacock and a ‘madgu’ (a water-diving bird), and the difference between a crane and a vulture.”
(Valmiki Ramayana, 3.47.45–47)
“जो अन्तर वन में सियार और सिंह में है, जो अन्तर क्षुद्र नदी और समुद्र में हैं, जो अन्तर कांजी और सर्वश्रेष्ठ मद्य (=अमृत) में है, निश्चित ही वही अन्तर तुम्हारा और राघव श्रीराम का है। और, जो अन्तर सोने और सीसे-लोहे में है, जो अन्तर चन्दनयुक्त जल और कीचड़ में है, जो अन्तर वन में हाथी और बिल्ली में है, वही अन्तर दाशरथि श्रीराम और तुम्हारा है। और, जो अन्तर विनतापुत्र (गरुड) और कौए में है, जो अन्तर मोर और मद्गु (एक साधारण जलपक्षी) में है, जो अन्तर वन में सारस पक्षी और गिद्ध में है, वही अन्तर दाशरथि श्रीराम और तुम्हारा है।”
(वाल्मीकीय रामायण, ३.४७/४५–४७)

साभार

Monday 14 August 2017

जन्माष्टमी आज मनाएं या कल, तिथि के अनुसार निर्णय ले !



भक्त ठाकुर जी के जन्मदिन का जश्न पूरी रात मनाते हैं। कान्हा की आरती, पूजा, भजन सब चलते है। मंदिरों से लेकर घरों तक 56 भोग लगाया जाता है। जन्माष्टमी का व्रत सबसे बड़ा माना जाता है, लेकिन इस बार कान्हा के जन्मदिन को लेकर भक्त असमंजस में है कि वे 14 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएं या 15 अगस्‍त को। दरअसल कृष्‍णा का जन्म भादप्रद माह कृष्‍ण पक्ष की अष्टमी को मध्य रात्रि के रोहिणी नक्षत्र में वृष के चंद्रमा में हुआ था। इस बार 14 अगस्‍त्‍ा की शाम 7: 48 बजे अष्टमी तिथि लग जाएगी, जो मंगलवार शाम 5:42 बजे तक रहेगी। ऐसे में लोग जन्माष्टमी को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं।
 

शास्‍त्रों के अनुसार पूजा पाठ में उदया तिथि का विशेष महत्व होता है और 15 अगस्त को कृष्‍ण जन्माष्टमी उदया तिथि में होने के कारण उसी दिन मनाई जाएगी। वैसे 15 अगस्त को शाम 5.42 के बाद नवमी तिथ‌ि लग जाएगी, लेकिन उदया तिथि होने के कारण 15 अगस्त को पूरा दिन अष्टमी का प्रभाव रहेगा।

शैव संप्रदाय की जन्माष्टमी 14 अगस्त को मनाई जाएगी, वही वैष्‍णव संप्रदाय की जन्माष्टमी 15 अगस्त को मनाई जाएगी। भगवान कृष्‍ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, लेकिन इस बार ये नक्षत्र 15 अगस्त को शाम 5:42 बजे खत्म हो जाएगा। इसके बाद कृतिका नक्षत्र आ जाएगा। रोहिणी नक्षत्र रात 2:32 बजे शुरू हो होगी, जो 16 अगस्त रात 12.50 बजे तक रहेगा। हिन्‍दू पंचाग के अनुसार उदया तिथि को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है और अष्टमी की उदया तिथि 15 अगस्त को है।

Thursday 10 August 2017

सातुड़ी तीज की पूजा – Satudi Teej Ki Pooja

 तीज के त्यौहार और व्रत मनाने का अवसर पंद्रह दिन के अंतराल से तीन बार आता है। जिसमे सावनी तीज , सातुड़ी तीज व हरतालिका तीज मनाईजाती है। सातुड़ी तीज को कजली तीज Kajli teej और बड़ी तीज Badi Teej भी कहते है।

सातु / सत्तू कब कितना बनाये – Satu,Sattu kab kitna banaye
सवाया जैसे सवा किलो या सवा पाव के सत्तू बनाने चाहिए। सातु अच्छी तिथि या वार देख कर बनाने चाहिये। मंगलवार और शनिवार को नहीं बनाते है । आप तीज के एक दिन पहले या तीज वाले दिन भी बना सकते है। सातु को पिंड के रूप जमा लेते है। उस पर सूखे मेवे इलायची और चांदी के वर्क से सजाये। बीच में लच्छा,एक सुपारी या गिट भी लगा सकते है। पूजा के लिए एक छोटा लडडू ( नीमड़ी माता के लिए ) बनाना चाहिए।
कलपने के लिए सवा पाव या मोटा लडडू बनना चाहिए व एक लडडू पति के हाथ में झिलाने के लिए बनाना चाहिए । कँवारी कन्या लडडू अपने भाई को झिलाती है। सातु आप अपने सुविधा हिसाब से ज्यादा मात्रा में या कई प्रकार के बना सकते है।

सातु चने ,चावल ,गेँहू ,जौ आदि के बनते है। तीज के एक दिन पहले सिर धोकर हाथो व पैरों पर मेहंदी मांडणी ( लगानी ) चाहिए।

सातुड़ी तीज पूजन की सामग्री – Satudi Teej Poojan ka saman
~ एक छोटा सातू का लडडू

~ नीमड़ी

~ दीपक

~ केला

~ अमरुद या सेब

~ ककड़ी

~ दूध मिश्रित जल

~ कच्चा दूध

~ नींबू

~ मोती की लड़/नथ के मोती

~ पूजा की थाली

~ जल कलश



सातुड़ी तीज पूजन की तैयारी – Teej Poojan Preparation

सातुड़ी तीज की कहानी

मिटटी व गोबर से दीवार के सहारे एक छोटा -सा तालाब बनाकर (घी ,गुड़ से पाल बांध कर ) नीम वृक्ष की टहनी को रोप देते है। तालाब में कच्चा दूध मिश्रित जल भर देते है और किनारे पर एक दिया जला कर रख देते है। नीबू , ककड़ी , केला , सेब , सातु , रोली , मौली ,अक्षत आदि थाली में रख लें । एक छोटे लोटे में कच्चा दूध लें।

सातुड़ी तीज पूजन की विधी : Satudi Teej Poojan
इस दिन पूरे दिन सिर्फ पानी पीकर उपवास किया जाता है और सुबह सूर्य उदय से पहले धमोली की जाती है इसमें सुबह मिठाई ,फल आदि का नाश्ता किया जाता है बिल्कुल उसी तरह जैसे करवा चौथ में सरगी की जाती है। सुबह नहा धोकर महिलाये सोलह बार झूला झूलती है ,उसके बाद ही पानी पीती है। सांयकाल के बाद महिलाएँ सोलह श्रृंगार करके नीमड़ी माता की पूजा करती हैं।

~ सबसे पहले नीमड़ी माता को जल के छींटे दे।

~ रोली के छींटे दे व चावल चढ़ाए।

~ नीमड़ी माता के पीछे दीवार पर मेहंदी , रोली व काजल की तेरह -तेरह बिंदिया अपनी अँगुली से लगाये। मेहंदी , रोली की बिंदी अनामिका अंगुली ( Ring Finger ) से लगानी चाहिए और काजल की बिंदी तर्जनी अंगुली ( Index Finger ) से लगानी चाहिए।

~ नीमड़ी माता को मोली चढाए।

~ मेहंदी, काजल और वस्त्र (ओढनी ) चढ़ाये।

~ दीवार पर लगाई बिंदियों पर भी मेहंदी की सहायता से लच्छा चिपका दे।

~ नीमड़ी को कोई फल , सातु और दक्षिणा चढाये ।

~ पूजा के कलश पर रोली से टीकी करें और लच्छा बांधें ।

~ किनारे रखे दीपक के प्रकाश में नींबू , ककड़ी , मोती की लड़ , नीम की डाली , नाक की नथ , साड़ी का पल्ला , दीपक की लो , सातु का लडडू आदि वस्तुओ का प्रतिबिम्ब देखते हैं और दिखाई देने पर इस प्रकार बोलना चाहिए —

” तलाई में नींबू दीखे , दीखे जैसा ही टूटे ” इसी तरह बाकि सभी वस्तुओ के लिए एक -एक करके बोलना चाहिए।

~ इस तरह पूजन करने के बाद सातुड़ी तीज माता की कहानी सुननी चाहिए , नीमड़ी माता की कहानी सुननी चाहिए , गणेश जी की कहानी व लपसी तपसी की कहानी सुननी चाहिए ।

~ रात को चंद्र उदय होने पर चाँद को अर्क (अर्ध्य ) दिया जाता है।

चन्द्र को अर्क (अरग ) देने की विधि :

~ चंद्रमा को जल के छींटे देकर रोली , मोली , अक्षत चढायें। फिर चाँद को जिमाए ( चाँद को भोग अर्पित करें ) व चांदी की अँगूठी और आखे ( गेंहू ) हाथ में लेकर जल से अर्क (अरग ) देना चाहिए। अर्क देते समय थोड़ा -थोड़ा जल चाँद की मुख की और करके गिराते है। चार बार एक ही जगह खड़े हुए घुमते है ( परिक्रमा लगाते है ) । अर्ध्य देते समय बोलते है :

” सोने की सांकली , मोतियों का हार। चाँद ने अरग देता , जीवो वीर भरतार ”

~ सत्तू के पिंडे पर टीका करे व भाई / पति , पुत्र के तिलक निकालें ।

~ पिंडा पति / पुत्र से चाँदी के सिक्के से बड़ा करवाये ( पिंडा तोड़ना ) इस क्रिया को पिंडा पासना Pinda Pasna कहते है। पति पिंडे में से सात छोटे टुकड़े करते है आपके खाने के लिए । पति बाहर हो तो सास या ननद पिंडा पासना कर सकती है।

~ सातु पर ब्लाउज़ ,रूपये रखकर बयाना निकाल कर सासुजी के पैर लग कर सासु जी को देना चाहिए। सास न हो तो ननद को या ब्राह्मणी को दे सकते है।

~ आंकड़े के पत्ते पर सातु खाये और अंत में आंकड़े के पत्ते के दोने में सात बार कच्चा दूध लेकर पिए इसी तरह सात बार पानी पियें।

दूध पीकर इस प्रकार बोलें —

” दूध से धायी , सुहाग से कोनी धायी ”

इसी प्रकार पानी पीकर बोलते है —

” पानी से धायी , सुहाग से कोनी धायी “

सुहाग से कोनी धायी का अर्थ है पति का साथ हमेशा चाहिए , उससे जी नहीं भरता।

~ बाद में दोने के चार टुकड़े करके चारों दिशाओं में फेंक देना चाहिए ।

सातुड़ी तीज की पूजा से सम्बंधित विशेष बातें
~ यह व्रत सिर्फ पानी पीकर किया जाता है।

~ चाँद उदय होते नहीं दिख पाए तो चाँद निकलने का समय टालकर ( लगभग 11 :30 PM ) आसमान की ओर अर्क देकर व्रत खोल सकते है । कुछ लोग चाँद नही दिखने पर सुबह सूरज को अर्क देकर व्रत खोलते है।

~ गर्भवती स्त्री फलाहार कर सकती है।

~ यदि पूजा के दिन माहवारी ( MC , पीरियड ) हो जाये तब भी व्रत किया जाता है लेकिन अपनी पूजा किसी और से करवानी चाहिए।

~ उद्यापन के बाद सम्पूर्ण उपवास संभव नहीं हो तो फलाहार किया जा सकता है। चाय दूध भी ले सकते है।

~ यदि परिवार या समाज के रीति रिवाज इस विधि से अलग हो तो उन्हें अपना सकते है।
इस तरह तीज माता की पूजा सम्पन्न होती है।
बोलो तीज माता की जय !!!

Sunday 12 February 2017

Yuva Sangathan Cricket League Season 4 - Finals & Conclusion

प्रणाम,
हर बार की तरह इस बार भी समाज के युवा वर्ग को एक जुट करने के उद्देश्य से "युवा संगठन क्रिकेट लीग" का चौथा सीज़न आयोजन किया गया | लीग का प्रारम्भ 16 जनवरी को किया गया व सेमी फाइनल और फाइनल २० जनवरी को खेला गया | इस बार कुल सात टीम मैदान पर उतरे | प्रतियोगिता भी इस बार बहुत ही रोमांचक रहा | प्रतियोगिता के लीग मैचों का विवरण आप हमारे पूर्व लिखे लेख में देख सकते हैं YSCL - Season 4, Match Summary & Points table

20 जनवरी 2017 को सेमी फाइनल और फाइनल खेले गए | पहला सेमी फाइनल गो रॉयल्स और पोन्नेरी पलटन के बीच खेला गया | पोन्नेरी पलटन पहले बल्लेबाजी करते हुए अपने निर्धारित 12 ओवर में 7 विकेट खो कर सिर्फ 55 रन ही बना पाई जिसे गो रॉयल्स ने दो गेंद शेष रहते आठ विकेट खोकर पा लिए और फाइनल में अपनी जगह सुनिश्चित कर दिए | इसी के साथ पूर्व विजेता पोन्नेरी पलटन प्रतियोगिता से बाहर हो गई | दुसरा सेमी फाइनल अन्ना नगर एवेंजर्स और टी नगर महाराणा के बीच खेला गया | टी नगर महाराणा पहले बल्लेबाजी करते हुए 12 ओवर में छे विकेट खोकर 133 रन बना डाले जिसके उत्तर में अन्ना नगर एवेंजर्स 85 पर आल आउट हो गई | फाइनल मैच अब गो रॉयल्स और टी नगर महाराणा के बीच खेला जाना था | टी नगर महाराणा पहले बल्लेबाजी करते हुए 12 ओवर में पाँच विकेट पर 105 रन बनाएं और चुनौती का सामना करते हुए गो रॉयल्स अपने 12 ओवर में 89 ही बना पाई और इसी के साथ टी नगर महाराणा इस सीज़न की प्रतियोगिता के विजेता हुए | पोन्नेरी पलटन और टी नगर माहाराणा अब तक की प्रतियोगिता श्रुंखला में दो-दो की बराबरी से विजेता घोषित किए गए हैं |
प्रतियोगिता के कुछ विशेष बातें :
प्रतियोगिता में कुळ 21 छक्के लगाए गए |
Highest total sixes by Dinesh Upadhyay (T.Nagar Maharana's) - 5 sixes in the tournament
Best Batsman was awarded to Anish Upadhyay (Nungambakkam)
Best Bowler & Man of the Series was awarded to Dinesh Upadhyay (TNM)
First ever Hat-Trick wicket in the tournament of YSCL by Chetan Silora (Avadi) {Awarded Cash award of Rs 500/- by Rajeshji Pattabhiram}
Man of the Match :
League Matches :
Match 1 - Chetan Silora (FA)
Match 2 - Dinesh Upadhyay (TNM)
Match 3 - Lakshman Paliwal (PP)
Match 4 - Dinesh Sharma (GR)
Match 5 - Ronak Sharma (TNM)
Match 6 - Rahul Sharma (ANA)
Match 7 - Mahesh Sharma (PP)
Semifinals :
First Semifinals - Rajesh Trivedi (GR)
Second Semifinal - Dinesh Upadhyay (TNM)
Finals :
Madhusudan Upadhyay (TNM)
Title of the Tournament was sponsored by Sumangali travel now
Trophy for the Tournament was sponsored by Kamdhenu Jewellery
Cash award of rupees 5000/- for winning team was sponsored by Kamdhenu Jewellery
As a special gesture to encourage their boys Kamdhenu Jewellery awarded cash award of rs 500/- for every player of Go.Royal team
Motilalji Upadhyay (Pattabhiram) awarded cash award of Rs 100/- for every six being hit in the tournament.
Lunch for league matches was sponsored by Kanhaiyalal ji Sridhar Joshi (Ponneri)
Other Sponsor's in the tournament were :
Ratanji Paliwal (Ponneri)
Sarvan Paliwal (Sekadu)
Motilalji Upadhyay (Pattabhiram)
Devilalji Gelawat (Anna Nagar)
Yuva Sangathan is grateful to all the Sponsor's for backing and supporting us throughout the tournament.
On behalf of Yuva Sangathan we thank everyone who were part of the team and every players for their commitment & for being supportive throughout the tournament.
Our only motive was to see youngsters of our samaj at one place and share a good time together.
Hope we have achieved what we tried to. Thank You all once again & wish to have your support and favor with us FOREVER ! _/\_