आज जनवरी 26 तारीख 2018 पर समाज की ओर से युवा संगठन के निर्माण पर सामूहिक बैठक बुलाई गई थी | किन्तु जिस तरह से घटनाक्रम वहाँ देखने को मिले वह बहुत ही दुखदायक और दयनीय था | घटित घटना को देख कर अपनी बात को हमने चलचित्र के माध्यम से समाज के सामने राखी | चित्र प्रमाण और हमारी मन कि बात आप नीचे देख सकते हैं |
Tuesday, 6 February 2018
Friday, 2 February 2018
संवाद - श्रीमान घीसुलाल सा पालिवाल के संग
"आपणो संस्कृति" कार्यक्रम के पीछे हमारा उद्देश्य यह हैं की हम अपने सामाजिक संस्कृति जो धीरे-धीरे लुप्त हुए जा रही हैं उसे सन्जो सके | ब्राह्मण युवा संगठन द्वारा हमारा प्रयास रहा है की हम हमारे समाज की जो संस्कृति हैं उसे युवा तक पहुंचा सके और उन्हें अपने समाज के ज्येष्ठ व्यक्तियों के व्यक्तित्व को और रिवाजों को जो एक तरह से आज हमारे दैनिक जीवन एक अंग बन गया है उसे और बेहतर समझ सके |
इसी उद्देश्य से हमे अपने समाज के ऐसे ही एक ज्येष्ठ व्यक्ति के व्यक्तित्व को जानने और समझने का अवसर प्राप्त हुआ जिनका नाम हैं - श्रीमान घीसुलाल सा पालिवाल |
हमारा संवाद कई विषयों पर हुई | उनके निजी जीवन पर, उनके कुटुम्ब, उनके व्यवसाय, उनका दिनचर्या, इत्यादि | संवाद का विडियो निम्न लिंक पर आप देख सकते हैं |
कुछ तकनिकी कारनो से हम पूरा संवाद रिकॉर्ड नहीं कर पाए | इसलिए हम आगे का हमारा संवाद यहाँ लिखित रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं |
(परमानन्द उपाध्याय = प.उ, श्रीमान घीसुलाल सा पालिवाल : घी.प)
प.उ: आपके जीवन आदर्श कौन हैं ?
घी.प : मुझे व्यापार कला श्रीमान भिकमचंद सा पालिवाल और धार्मिक कार्य व भजन की प्रेरणा श्रीमान मिश्रीलाल सा जोशी द्वारा प्राप्त हुआ | यह दोनों ही मेरे जीवन के आदर्श हैं |
प.उ : हर व्यक्ति के जीवन में कुछ न कुछ उद्देश्य रहा हैं जो उन्हें अपने जीवन का दिशा और प्रेरणा देता हैं | आपके जीवन का उद्देश्य क्या रहा ?
घी.प : मेरे जीवन में सदैव समाज सेवा और प्रभु भक्ति रहा | यह दोनों कार्य ही मुझे अपने जीवन में संतोष देते हैं और मुझे उसे करने में बहुत आनंद भी आता हैं |
प.उ : आपके धर्मपत्नी (श्रीमती मैना बाई सा) का आपके जीवन में कितना प्रभाव रहा हैं ?
घी.प : मेरी पत्नी का मेरे जीवन में पूर्ण सहयोग और समर्पण रहा हैं | हमारा वैवाहिक जीवन भी बहुत आनंद पूर्वक हैं |
प.उ : समाज में व्यक्ति और कुटुम्ब का क्या स्थान हैं ?
घी.प : मेरा मानना है की सभी सामाजिक बंधू को समाज के प्रति समर्पण होना चाहिए | समर्पण के साथ-साथ सहयोग और सेवा भाव भी उतना ही आवश्यक हैं | मेरी इच्छा भी हैं की हम सभी सामाजिक बंधू एक साथ कंधे से कंधे मिला अपने समाज को उसके चरम तक ले जाने में कार्यरत रहे |
प.उ : समाज में महिलाओं का स्थान और उनका महत्व ?
घी.प : समाज में महिलाओं का योगदान होना आवश्यक हैं | महिलाओं ने अपने संस्कृति को गीत और भजन द्वारा संजोया रखा हैं, किन्तु आज के महिलाओं में सांस्कृतिक गीत और भजन में रूचि की कमी बहुत देखने को मिल रही हैं | यह एक चिंता का विषय हैं |
प.उ : युवा पीढ़ी को आप क्या सलाह देना चाहेंगे ?
घी.प : युवा पीढ़ी को मैं यही कहूंगा की वे समाज में भी अपना योगदान देवें | सामाजिक संस्कृति ही हमारी पहचान हैं इसलिए वे सेवा, सहयोग, और समर्पण भाव से समाज के दिशा और दशा में अपना योगदान दे |
प.उ : "ब्राह्मण युवा संगठन" द्वारा किए जा रहे कार्य और उनके गतिविधियों पर आपके विचार ?
घी.प : "ब्राह्मण युवा संगठन" बहुत ही उत्तम कार्य कर रहा हैं और उसके लिए वे बधाई का पात्र भी हैं | आशा और प्रार्थना करते हैं की वे आगे भी इसी उत्साह से समाज के युवाओं को संगठित कर समाज को चरम पर ले जाते हुए समाज के प्रति अपने उत्तरदायी का निर्वाह करेंगे |
इसी उद्देश्य से हमे अपने समाज के ऐसे ही एक ज्येष्ठ व्यक्ति के व्यक्तित्व को जानने और समझने का अवसर प्राप्त हुआ जिनका नाम हैं - श्रीमान घीसुलाल सा पालिवाल |
हमारा संवाद कई विषयों पर हुई | उनके निजी जीवन पर, उनके कुटुम्ब, उनके व्यवसाय, उनका दिनचर्या, इत्यादि | संवाद का विडियो निम्न लिंक पर आप देख सकते हैं |
कुछ तकनिकी कारनो से हम पूरा संवाद रिकॉर्ड नहीं कर पाए | इसलिए हम आगे का हमारा संवाद यहाँ लिखित रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं |
(परमानन्द उपाध्याय = प.उ, श्रीमान घीसुलाल सा पालिवाल : घी.प)
प.उ: आपके जीवन आदर्श कौन हैं ?
घी.प : मुझे व्यापार कला श्रीमान भिकमचंद सा पालिवाल और धार्मिक कार्य व भजन की प्रेरणा श्रीमान मिश्रीलाल सा जोशी द्वारा प्राप्त हुआ | यह दोनों ही मेरे जीवन के आदर्श हैं |
प.उ : हर व्यक्ति के जीवन में कुछ न कुछ उद्देश्य रहा हैं जो उन्हें अपने जीवन का दिशा और प्रेरणा देता हैं | आपके जीवन का उद्देश्य क्या रहा ?
घी.प : मेरे जीवन में सदैव समाज सेवा और प्रभु भक्ति रहा | यह दोनों कार्य ही मुझे अपने जीवन में संतोष देते हैं और मुझे उसे करने में बहुत आनंद भी आता हैं |
प.उ : आपके धर्मपत्नी (श्रीमती मैना बाई सा) का आपके जीवन में कितना प्रभाव रहा हैं ?
घी.प : मेरी पत्नी का मेरे जीवन में पूर्ण सहयोग और समर्पण रहा हैं | हमारा वैवाहिक जीवन भी बहुत आनंद पूर्वक हैं |
प.उ : समाज में व्यक्ति और कुटुम्ब का क्या स्थान हैं ?
घी.प : मेरा मानना है की सभी सामाजिक बंधू को समाज के प्रति समर्पण होना चाहिए | समर्पण के साथ-साथ सहयोग और सेवा भाव भी उतना ही आवश्यक हैं | मेरी इच्छा भी हैं की हम सभी सामाजिक बंधू एक साथ कंधे से कंधे मिला अपने समाज को उसके चरम तक ले जाने में कार्यरत रहे |
प.उ : समाज में महिलाओं का स्थान और उनका महत्व ?
घी.प : समाज में महिलाओं का योगदान होना आवश्यक हैं | महिलाओं ने अपने संस्कृति को गीत और भजन द्वारा संजोया रखा हैं, किन्तु आज के महिलाओं में सांस्कृतिक गीत और भजन में रूचि की कमी बहुत देखने को मिल रही हैं | यह एक चिंता का विषय हैं |
प.उ : युवा पीढ़ी को आप क्या सलाह देना चाहेंगे ?
घी.प : युवा पीढ़ी को मैं यही कहूंगा की वे समाज में भी अपना योगदान देवें | सामाजिक संस्कृति ही हमारी पहचान हैं इसलिए वे सेवा, सहयोग, और समर्पण भाव से समाज के दिशा और दशा में अपना योगदान दे |
प.उ : "ब्राह्मण युवा संगठन" द्वारा किए जा रहे कार्य और उनके गतिविधियों पर आपके विचार ?
घी.प : "ब्राह्मण युवा संगठन" बहुत ही उत्तम कार्य कर रहा हैं और उसके लिए वे बधाई का पात्र भी हैं | आशा और प्रार्थना करते हैं की वे आगे भी इसी उत्साह से समाज के युवाओं को संगठित कर समाज को चरम पर ले जाते हुए समाज के प्रति अपने उत्तरदायी का निर्वाह करेंगे |
श्रीमान घीसुलालसा पालिवाल और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती मैना बाईसा |
श्रीमान घीसुलालसा पालिवाल और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती मैना बाईसा |
श्रीमान घीसुलालसा पालिवाल और उनके कुटुम्बजन |
श्रीमान घीसुलालसा पालिवाल और उनके कुटुम्बजन |
पौत्र, पौत्री, दोहिता, और दोहिति |
श्रीमती मैना बाईसा के साथ उनके ननंद श्रीमती कमला बाईसा और जीवी बाईसा |
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