Sunday, 30 December 2018

स्वावलम्बन - आत्म-निर्भर होना समाज और व्यक्ति के उत्कृष्ट होने का सूचक हैं |

प्रगति कि ओर वही समाज बढ़ सकता हैं जो अपने सभी वर्गों को सशक्त और संकल्प के सूत्र से बाँध सके | समाज वही प्रेरनास्तोत्र बन सकता है जो अपने सदस्यों के प्रतिभा को उजागर करने के साथ-साथ अन्य सदस्यों के मार्ग को प्रशस्त करते हुए उन्हें स्वावलम्बी होने की प्रेरणा दे सके | ऐसी ही भावना मन में जगाते हुए इस पथ पर हम अग्रसर हुए | प्रयास इस विषय पर वर्षों से था की अपने समाज में भी महिलाओं के लिए एक सामाजिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा सके | करना सभी चाहते हैं किन्तु संकल्प कि कमी के कारन नहीं कर पाते थे | हमने भी यह संकल्प लिया की हम इस विचार को सिद्धि की ओर अवश्य ले जाएँगे | इसी प्रयास में हमने समाज में उन छुपे प्रतिभाओं को खोजना प्रारम्भ किया | कुछ नाम भी सामने आए | ऐसे ही प्रयास में हमने श्रीमती संगीता बाई से संपर्क में आए | उनके मेहन्दी कि कलाकारी फेसबुक पर तो अक्सर छाया करती हैं | हमने संपर्क साधते हुए उनसे आग्रह किया और अपने संकल्प को उनके सामने रखते हुए भेंट करने की प्रार्थना रखी | 30 नवम्बर २०१८ शुक्रवार को प्रत्यक्ष रूप में भेंट की और विषय पर चर्चा को आगे बढ़ाया | अब विचार यह करने लगे के क्या किया जाय और कब ?! क्यूंकि दिसम्बर के दुसरे सप्ताह तक सभी स्कूल कि छुट्टी हो जाती हैं हमने छुट्टी के अवसर का लाभ उठाने का निश्चय किया | एक तो छुट्टियों के साथ साथ अधिक सामाजिक कार्य भी इस समय नहीं होते तो सभी घर पर ही या तो टीवी या नींद और आलस्य के साथ समय व्यतीत किया करते हैं| हमने इस स्थिति को एक अवसर के रूप में देखा और इसका लाभ अपने संकल्प को पूरा करने में उपयुक्त समझा |
कब करना हैं यह तो तय हो गया अब क्या करना हैं इस पर मंथन होने लगा | श्रीमती संगीता बाई ने मेहन्दी और विविध रूप से साड़ी पहनने का दायित्व अपने ऊपर लिया | केक बनाना सिखाने के लिए श्रीमती दीपिका बाई से और एक्यूपंक्चर के लिए श्रीमती मोनिका बाई से संपर्क किया | सब कुछ सेट हो गया, बस अब इस संकल्प को सिद्धि तक पहुँचाना था | विचार को क्रिया में बदलना था | स्वावलम्बन रुपी रैल पटरी पर चल पड़ी |
समाज में पहली बार महिलाओं को लेके इस तरह का कार्यक्रम का आयोजन हो रहा हैं सुन समाज में एक तरह से खलबली सी मच गई | हमे अवगत था की हमारा समाज रूढ़ीवाद रुपी रोग से ग्रस्त हैं जो महिलाओं को किसी भी सामाजिक कार्य में अग्रसर होते नहीं देखना चाहता | वह एक पुरुष प्रधान समाज बने रहना चाहता हैं | हम जानते है की इसके पीछे समाज की मनचाह किसी भी वर्ग को दबाना नहीं अपितु उनके संरक्षण की चिंता के कारन एक भय सा सदैव बना रहता हैं | जब समय के रहते पौधों के बंधन को नहीं काँटा जाय तो वही बंधन पौधों को पेड़ बन्ने में बाधा बन जाती हैं | स्वावलम्बी जैसे शस्त्र के सामने कोई अन्य शस्त्र टिक सकता हैं भला ! स्वावलम्बी होने से व्यक्ति का ही नहीं अपितु समाज का गौरव भी बढ़ जाता हैं | डेवलप्ड और डेवलपिंग नेशन में यही तो अंतर हैं |
यह हमारा ही सौभाग्य है जहाँ हमने मेहन्दी, साड़ी पहनावा, और केक बन्नाने की विधि का आयोजन करना चाहा तभी श्रीमती मधुबाला बाई ने संपर्क किया की वह चाकलेट में पारंगत हैं और इस कार्यशाला में अपना योगदान देना चाहती हैं | यह तो हमारे लिए हर्ष कि बात थी और उन्हें भी हमने अपने सहयोगी दल का सदस्य बना लिया |
दिसम्बर २३-२७ २०१८ तक चलने वाला हमारा आयोजन बड़े ही हर्षोलास से प्रारम्भ हुआ | इन पांच दिनों में  सभी महिला और बहनों ने कुछ नया सीखा तो है ही साथ ही साथ एक सम्बन्ध का भाव भी जोड़ने में हम सफल हुए | यही सम्बन्ध का भाव आने वाले समय में समाज को प्रगति की ओर ले जाने के लिए सहायक सिद्ध होगी |
|| हर हर महादेव ||





 स्वावलम्बन के सभी चित्र और चलचित्रों को यहाँ इस लिंक पर क्लिक कर आप देख सकते हैं -

http://www.audichyabrahmansamaj.in/albums

Thursday, 23 August 2018

Yuva Sangathan Cricket League - Season 7

ब्राह्मण युवा संगठन ने इस बार क्रिकेट लीग का आरम्भ समाज के ज्येष्ठ जनों के निधन के कारन जुलाई से आगे कर अगस्त महीने में आयोजन किया| तारीख सत्रह अगस्त (17/08/2018) आयोजन की घोषणा के साथ ही सभी सामाजिक बंधुजन अपने अपने टीम जुटाने में लग गए| इस बार दो नई टीम भी मैदान पर उतरी| वेपम्बेडू से सरवन उपाध्याय के नेतृत्व में और हैदराबाद से राजेंद्र भाई के नेतृत्व में अपनी टीम उतारी |
यह हमारे समाज में पहली बार हुआ है जब खेल प्रतियोगिता के लिए दुसरे राज्य से अपने समाज बन्धु अपनी टीम ले कर यहाँ चेन्नई आये | यह साबित करता है की ब्राह्मण युवा संगठन अपने दृढ़ संकल्प से अपने समाज में ऐसे कार्य पर कार्य किए जा रही है जो आज तक अपने समाज में होना चाहिए था किन्तु नहीं हुआ | संकल्प के बिना कोई भी कार्य संभव हो पाना कठिन ही नहीं असंभव भी हैं|
टूर्नामेंट पहले रेड हिल्स हाईवे स्थित मेग्ना इंजीनियरिंग कॉलेज ग्राउंड में तय हुआ था किन्तु एक दिन पहले वर्षा होने के कारन स्थान बदल कर MVR क्रिकेट ग्राउंड में रखा गया| इस बदलाव के कारन मैच सुबह साडे सात के बजाय साडे दस बजे ही प्रारंभ हो पाया| समय का अभाव देख सभी मैच को दस ओवर की जगह आठ ओवर कर दिया गया | मैच के समय स्कोर और अंपायर के कारन रूक रूक कर छोटी बड़ी बहस होने लगी| क्यूंकि हमारी टीम "महाराणा" प्रतियोगिता में थी तो स्थिति को संभालने के लिए टूर्नामेंट से अपने को बहार कर दिया और आयोजन का कमान संभालते हुए स्थिति को पुनः पटरी पर लाए|
पहली बार टूर्नामेंट में भाग लेने वाली टीम युवा टाइगर (हैदराबाद) अपने अच्छे बल्लेबाजी के प्रदर्शन से सेमी फाइनल तक पहुंची| फाइनल Go.Royal`s और YaarKittae के बीच हुआ| बाउल आउट में भाई अनिल ने शानदार गेंद से गिल्ली उड़ाकर अपनी टीम Go.Royal`s को एक यादगार जीत दिला YSCL में पहली बार खिताब अपनी टीम की झोली में डाली
मुख्य अथिति के रूप में श्रीमान पूनमचंद सा और श्रीमान सूर्यप्रकाश सा को बुलाया गया और उनके हाथों से ट्राफी बांटी गई|


टूर्नामेंट के अन्य चित्र आप हमारे वेबसाइट पर देख सकते हैं -
WWW.AUDICHYABRAHMANSAMAJ.IN

प्रतियोगिता का बहीखाता:


Wednesday, 11 April 2018

चेन्नई में हुई आम सभा पर एक विश्लेषण

हर बार की तरह इस बार भी प्याऊ पर आयोजित आम सभा के लगभग एक महिना पूर्व चेन्नई निवासियों के संग आम सभा ता ०६ अप्रैल २०१८ शुक्रवार को १० बजे बुलाई गई | चेन्नई सभा बुलाने का उद्देश्य यह है की सभी बंधुजन अपने विचार और प्रस्ताव पर अपनी स्वीकृति या अस्वीकृति दे, जो प्याऊ पर आयोजित वार्षिक सभा में रखा जाएगा | सभा में सबने सबसे पहले अपनी उपस्थिति दर्ज कराई | किसी ने अपना वार्षिक बरसोद जमा कराया तो किसी ने कबूतर चुग्गे के लिए चन्दा भी दिया | इसी बीच चाय की चुस्की लेते हर कोई सभा के प्रारंभ होने की राह देख रहे थे | सभा में अब तक ६० से ७० जन उपस्थित हो चुके थे |
सभा के प्रारम्भ की घोषणा के साथ श्रीमान जगदीश सा ने माइक थामा और श्रीमान घीसुलाल सा पालीवाल को सभा अध्यक्ष के रूप में चुना गया | उनके साथ ही श्रीमान मानकचंद सा सिलोरा, श्रीमान रतनलाल सा पालीवाल, श्रीमान प्रकाश सा भण्डारी, श्रीमान सुरेश सा पारिख को भी मंच पर स्वागत किया गया | सभा के सामने श्रीमान जगदीश सा जो सभा के संचालन का कार्यभार संभाल रहे थे सभा के सामने गत वर्ष निधन बंधुजनों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दो मिनट का मौन धारण करवाया | उसके बाद गत वर्ष के आंकड़े और मंदिर निर्माण कार्य का ब्यौरा दिया | मंच पर उपस्थित सभी जनों ने एक-एक कर अपनी बात सभा के सामने रखी | जब सभी ने अपनी बात रखदी तो सभा में उपस्थित बंधुजनों से आग्रह किया की वे भी अपना विचार सामने रखे |श्रीमान संजय सा और श्रीमान सत्यनारायण सा के बाद भाई दिनेश और हमने अपनी बात सभा के सामने रखी | हम जब भी अपनी बात रखते हैं तब इस बात का ध्यान अवश्य रखते है की अपनी बात केवल और केवल समाज के हित की हो और किसी भी व्यक्ति पर ना हो | व्यक्ति वो बड़ा होता है जो दूसरों की बात सुने और उसका उचित उत्तर या समाधान निकाले | परन्तु दुःख की बात यह है की प्रश्न उठाने के कारन हमे और अपने भाई दिनेश को श्रीमान मानकचंद सा द्वारा सभा से निकाल देने को कहाँ | आप विचार कर रहे होंगे कि ऐसा क्या प्रश्न पूछ लिया हमने | भाई दिनेश ने जो युवा संगठन की नियुक्ति प्रक्रिया थी उसका चुनाव करा कर व्यवस्थित ढंग से पुनः प्रारम्भ करने की बात कही | यह बात इसलिए कही क्यूंकि श्रीमान घनश्याम सा सभा में अपनी लाचारिता को दर्शा कर कह रहे थे की दो बार युवा संगठन की सभा बुलाने के बाद भी किसी के द्वारा रूचि नहीं दिखाई गई और निराशा ही हाथ लगी | हमने यह बात कही की अपने पंजीकृत समाज के कुछ नियम होते है जो समाज को उन नियमों का अनुसरण करना होता हैं | हर दो वर्षों में चुनाव और सभी समाज सदस्यों को लिखित रूप में लेखा जोखा पारित करने के प्रावधान को हमने सभा के संज्ञान में लाया | लेखा जोखा के विषय में श्रीमान मानकचंद सा ने उत्तर दिया की केवल बाहर के खाते की प्रतिलिपि ही हम दे सकते है और अन्दर के खाते को हम लिखित रूप में नहीं दे सकते | प्रतियूत्तर में हमने कहाँ की लेख जोखा पूरा खुल्ला क्यूँ नहीं किया जा रहा हैं ? यदि हम ६०० सदस्यों की भी गणना ले तो प्रति व्यक्ति १०००० रूपये का चेक दे तो साठ लाख तक का हिसाब खुला किया जा सकता हैं ! इसमें विलम्ब क्यों ? इतने में उन्होंने अपना आपा खो दिया और हम दोनों भाइयों पर व्यक्तिगत टिप्पणी करने लग गए | अपने अपमान का घूँट पी हम दोनों भाई सभा से निकल लिए |

कुछ विचार करने योग्य बातें :-

६०-७० जन की उपस्थिति के बाद भी केवल चार जनों ने ही अपने विचार सभा के सामने प्रकट किए |

किसी ने भी विचार या प्रस्ताव पर ना ही अपनी सहमति और ना हि अपनी अस्वीकृति जताई |

लगभग चार घंटे में हमने किसी को नींद के झोंके लेते देखे तो किसी को अपने ही धुन में मस्त |

सभी जैसे मौन व्रत लेके बैठे थे | लग ऐसा रहा था जैसे वे कोई आम सभा में नहीं शोक सभा में भाग ले रहे हो |

हम दोनों भाइयों पर व्यक्तिगत टिप्पणी करनेऔरअपमान कर बाहर निकाल देने को कहने के बाद भी किसीने विरोध के स्वर नहीं निकाले | विरोध कि बात इसलिए क्यूंकि किसी को भी किसीको बाहर निकाल देने कि आज्ञा नहीं हैं | चाहे वे सभा अध्यक्ष ही क्यूँ ना हो | यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात हैं |

वैसे तो हर कोई अपने आप को राजा और शेर से कम नहीं आंकता परन्तु समय इतना बलवान होता है की इन पेपर टाइगर के पोल खोल देता हैं |

 विवेकयुक्त मन से बाद में विचार किया की अनुचित कहाँ हो रहा हैं ? बंधुजनों में यह लाचारिता क्यूँ ? क्यों कोई भी बन्धु अपनी बात रखने में सामर्थ नहीं जुटा पा रहा ? समाज के प्रति सदस्यों में यह हिन भाव क्यों हैं जैसे की उनका सभा में हो रही बातों से कोई लेना देना ही ना हो ? जब बंधुजनों से इन प्रश्नों पर बात किया तो कहने लगे की यहाँ किसी कि भी बात का कोई मोल नहीं | जो समिति कहे वो सही | कोई भी सदस्य यदि कुछ तीखे विचार रखे तो टालने के लिए यह कह देते है की इस बात का समाधान प्याऊ पर होगा या उनके विचार को अनुचित कह कर बैठा दिए जाते हैं | केवल निराशा के स्वर ही निकल रहे थे की इस समाज का कुछ नहीं हो सकता | क्यूंकि अपना समाज गुण नहीं रूढीवादी से ग्रसित समाज बनकर रह गया हैं | जहां युवाओं को प्रोत्साहन देने के बजाय अपमान का विष पिलाया जाता हैं | ऐसी स्थित में कौन समाज में भाग लेना चाहेगा ? परिस्थिति से निपटना यानी पाशान से अपना सर टकराना जैसा हो गया हैं |

राजस्थान से भी समाचार प्राप्त हुए के आप चेन्नई सभा हमारा समर्थन नहीं करते | कहते है की मारवाड़ सभा ने चेन्नई सभा को यह प्रस्ताव भेजा था इस बार का वार्षिक आम सभा जो जयेष्ठ वद पंचमी (०५/०५/२००८) को होना है उसे ज्येष्ठ मास में स्थगित कर दिया जाय | कारन यह बताते है की इस तिथि के आगे पीछे समाज बंधुओं के घर विवाह सुनिश्चित हुआ हैं तो बंधुजन भाग नहीं ले पाएंगे | परन्तु हमने उनहें बताया की इस तरह का कोई प्रस्ताव चेन्नई सभा में लाया ही नहीं गया था ! प्रस्ताव के बजाय चेन्नई सभा को केवल सूचित किया गया था की समिति ने वार्षिक सभा को अगले ज्येष्ठ में स्थगित करने का प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया हैं | अब यह सभा समिति जाने की इस बात में कितना सत्य हैं | किन्तु एक बात अवश्य है की कोई ना कोई एक दुसरे को अँधेरे में अवश्य रख रहा हैं | एक अव्यवस्था जैसा स्थिति समाज में निश्चित ही दिख रहा हैं |

प्रश्न तो बहुत है किन्तु इसका समाधान क्या हो सकता हैं ? समाज के बंधुजन क्या करे की वे इस निराशावाद स्थिति से आशावाद की और बढ़े ? क्या करे की युवाओं को समाज में भाव सहित भाग लेने का प्रोत्साहन मिले ?

इस प्रश्नों पर कुछ समाधान अपने तरफ से आपके समक्ष रख रहा हूँ |

सबसे पहले आपको ध्यान दिला दूँ कि इस समय हमारे पास कई साधन है जिसके द्वारा हम अपनी बात सभी समाज बंधुओं तक पहुंचा सकते हैं | एक समय था जब साधन की अभाव के कारन समाज की बात केवल सभाओं में ही होती थी | आज हमारे पास फेसबुक, व्हात्सप्प, जैसे सोशल मीडिया है जिसके द्वारा अपनी बात सरलता पूर्वक पहुंचा सकते हैं |

मूक दर्शक बन कर ना बैठे | भले ही आपके लेखन में कोई त्रुटी हो जहां तक आप अपनी बात रखने में सफल हो लेखन पर ध्यान ना दे | बात महत्वपूर्ण है लेख नहीं |

महिला हो युवा हो या अन्य बंधुजन जहां तक हो सके एक्टिव रहे | समाज के बारे में हो रही बातों पर अपनी बात सोशल मीडिया के माध्यम से अवश्य रखे |

आपका मौन ही आपका शत्रु हैं | कोई भी किसी व्यक्ति या समाज के बारे में कोई अनुचित बात करे तो वही उसे टोक दो और अनदेखा ना करें |

जब ऐसा होगा तब आप देखेंगे की कोई भी अनुचित बात करने से पहले दो बार विचार करेगा | हाँ, ऐसा होने में कुछ समय अवश्य लगे परन्तु प्रयास जारी रखें | परिवर्तन अवश्य आयेगा |

कोई अच्छा कार्य करे तो उसका उत्साह बढाने में कोई कंजूसी ना दिखाए | आपका एक उत्साहवर्धक शब्द से किसी के जीवन के साथ साथ समाज में भी उचित बदलाव लाने में सफल होंगे |


निराशा अपने मन में कभी ना लाए | निराश वह होता है जो आशा ही छोड़ दे | आज हम स्वतंत्र देश है तो उसके पीछे सहस्त्रों वीरों का त्याग और बलिदान था | यदि वे निराश हो कर बैठ जाते तो क्या हम एक स्वतंत्र देश हो पाते ? आशा सदैव पाले रखे |

प्रश्नों में उलझने के बजाय समाधान पर अपना ध्यान और ऊर्जा लगाएं | आप देखेंगे की किसी भी समाज में परिवर्तन लाना जो कठिन प्रतीत होता था वह तो बहुत ही सरल दिख रहा हैं |

यदि आप भी अपनी कोई बात साथ में जोड़ना चाहे तो हमे अवश्य बताएं | विचारों की यह प्रवाह निरंतर चलती रहनी चाहिए | प्रगतिशील समाज ही उत्कृष्ट भविष्य बनाने में सामर्थ्य रखता हैं |

हर हर महादेव |


Wednesday, 4 April 2018

प्रथम सामाजिक होली-मिलन

माह फरवरी का था और एकाएक फ़ोन आता हैं | सामने वाला कहता हैं - क्या परमानन्द ! इस बार होली के लिए क्या कार्यक्रम का आयोजन कर रहा हैं ?! बस और क्या था, झट अपने सहयोगियों से बात हुई और उतर गए कार्य को सिद्ध करने | तिथि हमे ऐसी चाहिए थी जो सभी वर्ग के लिए सुविधाजनक हो और ३० मार्च हमे उपयुक्त लगा | शुक्रवार का दिन और गुरूवार से रविवार तक सरकारी अवकाश, बस और क्या चाहिए था हमे | क्यूंकि हमारा लक्ष्य समाज के युवाओं को प्रभावित करना था हमने अन्य सहयोगियों के साथ होली मिलन कार्यक्रम के लिए रिसोर्ट ढूँढना प्रारंभ किया |
रिसोर्ट में कार्यक्रम के पीछे हमारी मनचाह यह थी कि मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक जागृति भी हो | कई रिसोर्ट देखने के बाद महाबलीपुरम के निकट मंकी मोंक नामक रिसोर्ट को होली मिलन के लिए निश्चय किया |
रिसोर्ट निश्चय करने के बाद अब हमारे पास यह चुनौती थी की होली मिलन के लिए खर्चा कितना तक होगा ? कितने बंधुओं का मेला होगा ? आने-जाने की व्यवस्था कैसे करनी हैं ? भोजन का खर्चा ? इत्यादि | समाधान में, हमने सबसे पहले २५० बेस मेम्बर का टार्गेट निश्चय किया | निश्चय के बाद हम अपने सहयोगी राजेश पालीवाल, राहुल गेलावत, प्रदीप शर्मा, आनंद शर्मा, राजेश जोशी, और मयूर उपाध्याय, के साथ बंधुजनों को एकत्रित करने में जुट गए | अब दुसरी चुनौती थी की खर्चा कैसे निकाले ? हमने यह भार कुछ व्यक्ति के ऊपर ना डालते हुए विचार किया की क्यूँ ना एक शुल्क निर्धारित किया जाय | इससे सभी बंधुजनों का भाग के साथ भाव भी कार्यक्रम के साथ जुड़ेगा | भोजन, गाडी का किराया, और रिसोर्ट के खर्चे का गणित कर प्रत्येक व्यक्ति के लिए ८०० रुपया और दस वर्ष के आयु से नीचे के लिए ५०० रुपया का शुल्क निर्धारित किया | पांच वर्ष के नीचे आयु वाले बालक के लिए कोई शुल्क ना लेना का भी निश्चय किया |
पोन्नेरी, कवरैपेट, गूमडीपूंडी के लिए राजेश पालीवाल, अजीत जोशी, और राजेश जोशी के साथ घर-घर जा बन्धुजनों को न्यौता देने के साथ शुल्क भी लेते गए | दुसरे सप्ताह हम प्रदीप भाई और आनंद भाई के साथ आवड़ी और कामराज नगर एवं मयूर उपाध्याय और राहुल गेलावत के साथ पट्टाभीराम और अन्ना नगर का दौरा किया | शहर का प्रभार हमने स्वयं अपने ऊपर ले लिया | तिथि के निकट आते आते हम अपने लक्ष्य के निकट पहुँच गए | 

यातायात के लिए एक स्थान पर गाड़ी करने के बजाय हमने विविध स्थानों पर अलग अलग गाडी किराए पर करा ली ताकि आने और जाने में किसीको किसी तरह की असुविधा ना हो | कुल १३ वैन किराए पर लिया गया | पोन्नेरी कवरैपेट और गूमडीपूंडी से चार वैन, आवड़ी पट्टाभीराम से दो वैन, कार्नाडै से एक वैन, अतिपेट से एक वैन और चेन्नई से पांच वैन किया गया | इस तरह का यातायात सुविधा और संचालन समाज में पहले कभी नहीं हुआ | इतने बड़े कार्य को इतनी सुलभता से सञ्चालन करना एक अप्रतीम चरित्र और संकल्प का परिचय देता हैं | यह हमारे ब्राह्मण युवा संगठन के सहयोगियों कि प्रतिभा का एक अद्भुत उदाहरन के तौर पर हम इसे देखते हैं |

कुछ रोचक बातें :

समाज में पहली बार होली मिलन का आयोजन हुआ जिसमे लगभग ३०० व्यक्ति समाज के बड़े से लेकर बच्चों तक ने भाग लिया |
समाज में पहली बार इतनी बड़े पैमाने में एक सामूहिक मिलन का आयोजन हुआ हैं |

आयोजन में भाग लेने के लिए १३ वैन (19 सीटर वाली) और वो भी अलग अलग क्षेत्रों से करना अपने आप में ही एक अद्भुत कार्य हैं जो आज तक समाज में कभी नहीं हुआ |
युवाओं का इतना बड़ा समूह और वो भी महिलाओं और बच्चों समेत किसी एक स्थान पर एकत्रित होना ब्राह्मण युवा संगठन द्वारा किए जा रहे प्रयासों में एक सबसे बड़ी उपलब्धि और सफलता हैं |
महिलाओं को अपनी बात सामूहिक रूप से रखने का अवसर प्रदान करना भी ब्राह्मण युवा संगठन के प्रयासों का ही परिणाम हैं |
यह हमारा संकल्प और समाज के युवाओं का समर्थन ही था जो ब्राह्मण युवा संगठन विचारों से आगे बढ़ उसे सिद्ध करने में अपार सफलता प्राप्त की |
आशा है आप सबका साथ सदैव यु ही मिलता रहेगा |

होली-मिलन के सभी छायाचित्र इस लिंक पर आप देख सकते हैं - https://www.facebook.com/pg/SPDYABS/photos/?tab=album&album_id=1871287656237577

सभी छायाचित्र हमारे सहयोगी सूरज सान्डिल्य और कौशल उपाध्याय द्वारा लिया गया हैं |

हर बार की तरह इस बार का बही खाता भी इस लेख के साथ हम भेज रहे हैं | लेख में किसी भी प्रकार की त्रुटी हो तो हमे सूचित अवश्य करें |
 
हर हर महादेव |

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Tuesday, 6 February 2018

युवा संगठन के निर्माण पर अपने मन कि बात

आज जनवरी 26 तारीख  2018 पर समाज की ओर से युवा संगठन के निर्माण पर सामूहिक बैठक बुलाई गई थी | किन्तु जिस तरह से घटनाक्रम वहाँ देखने को मिले वह बहुत ही दुखदायक और दयनीय था | घटित घटना को देख कर अपनी बात को हमने चलचित्र के माध्यम से समाज के सामने राखी | चित्र प्रमाण और हमारी मन कि बात आप नीचे देख सकते हैं |









Friday, 2 February 2018

संवाद - श्रीमान घीसुलाल सा पालिवाल के संग

"आपणो संस्कृति" कार्यक्रम के पीछे हमारा उद्देश्य यह हैं की हम अपने सामाजिक संस्कृति जो धीरे-धीरे लुप्त हुए जा रही हैं उसे सन्जो सके | ब्राह्मण युवा संगठन द्वारा हमारा प्रयास रहा है की हम हमारे समाज की जो संस्कृति हैं उसे युवा तक पहुंचा सके और उन्हें अपने समाज के ज्येष्ठ व्यक्तियों के व्यक्तित्व को और रिवाजों को जो एक तरह से आज हमारे दैनिक जीवन एक अंग बन गया है उसे और बेहतर समझ सके |
इसी उद्देश्य से हमे अपने समाज के ऐसे ही एक ज्येष्ठ व्यक्ति के व्यक्तित्व को जानने और समझने का अवसर प्राप्त हुआ जिनका नाम हैं - श्रीमान घीसुलाल सा पालिवाल |
हमारा संवाद कई विषयों पर हुई | उनके निजी जीवन पर, उनके कुटुम्ब, उनके व्यवसाय, उनका दिनचर्या, इत्यादि | संवाद का विडियो निम्न लिंक पर आप देख सकते हैं |
कुछ तकनिकी कारनो से हम पूरा संवाद रिकॉर्ड नहीं कर पाए | इसलिए हम आगे का हमारा संवाद यहाँ लिखित रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं |
(परमानन्द उपाध्याय = प.उ, श्रीमान घीसुलाल सा पालिवाल : घी.प)

प.उ: आपके जीवन आदर्श कौन हैं ?
घी.प : मुझे व्यापार कला श्रीमान भिकमचंद सा पालिवाल और धार्मिक कार्य व भजन की प्रेरणा श्रीमान मिश्रीलाल सा जोशी द्वारा प्राप्त हुआ | यह दोनों ही मेरे जीवन के आदर्श हैं |  
प.उ : हर व्यक्ति के जीवन में कुछ न कुछ उद्देश्य रहा हैं जो उन्हें अपने जीवन का दिशा और प्रेरणा देता हैं | आपके जीवन का उद्देश्य क्या रहा ?
घी.प : मेरे जीवन में सदैव समाज सेवा और प्रभु भक्ति रहा | यह दोनों कार्य ही मुझे अपने जीवन में संतोष देते हैं और मुझे उसे करने में बहुत आनंद भी आता हैं |
प.उ : आपके धर्मपत्नी (श्रीमती मैना बाई सा) का आपके जीवन में कितना प्रभाव रहा हैं ?
घी.प : मेरी पत्नी का मेरे जीवन में पूर्ण सहयोग और समर्पण रहा हैं | हमारा वैवाहिक जीवन भी बहुत आनंद पूर्वक हैं |
प.उ : समाज में व्यक्ति और कुटुम्ब का क्या स्थान हैं ?
घी.प : मेरा मानना है की सभी सामाजिक बंधू को समाज के प्रति समर्पण होना चाहिए | समर्पण के साथ-साथ सहयोग और सेवा भाव भी उतना ही आवश्यक हैं | मेरी इच्छा भी हैं की हम सभी सामाजिक बंधू एक साथ कंधे से कंधे मिला अपने समाज को उसके चरम तक ले जाने में कार्यरत रहे |
प.उ : समाज में महिलाओं का स्थान और उनका महत्व ?
घी.प : समाज में महिलाओं का योगदान होना आवश्यक हैं | महिलाओं ने अपने संस्कृति को गीत और भजन द्वारा संजोया रखा हैं, किन्तु आज के महिलाओं में सांस्कृतिक गीत और भजन में रूचि की कमी बहुत देखने को मिल रही हैं | यह एक चिंता का विषय हैं |
प.उ : युवा पीढ़ी को आप क्या सलाह देना चाहेंगे ?
घी.प : युवा पीढ़ी को मैं यही कहूंगा की वे समाज में भी अपना योगदान देवें | सामाजिक संस्कृति ही हमारी पहचान हैं इसलिए वे सेवा, सहयोग, और समर्पण भाव से समाज के दिशा और दशा में अपना योगदान दे |
प.उ : "ब्राह्मण युवा संगठन" द्वारा किए जा रहे कार्य और उनके गतिविधियों पर आपके विचार ?
घी.प : "ब्राह्मण युवा संगठन" बहुत ही उत्तम कार्य कर रहा हैं और उसके लिए वे बधाई का पात्र भी हैं | आशा और प्रार्थना करते हैं की वे आगे भी इसी उत्साह से समाज के युवाओं को संगठित कर समाज को चरम पर ले जाते हुए समाज के प्रति अपने उत्तरदायी का निर्वाह करेंगे | 
श्रीमान घीसुलालसा पालिवाल और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती मैना बाईसा

श्रीमान घीसुलालसा पालिवाल और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती मैना बाईसा

खड़ा - श्रीमान जीवराजसा पालिवाल, घीसुलालसा पालिवाल, रतनलालसा पालिवाल
आसन पर - श्रीमान मोतीलालसा पालिवाल (गोद में - राधाकृष्ण पालिवाल) और भिकमचंदसा पालिवाल
नीचे बैठे - श्रीमान श्यामलालसा पालिवाल और राधाकृष्णसा जोशी


श्रीमान घीसुलालसा पालिवाल और उनके कुटुम्बजन

श्रीमान घीसुलालसा पालिवाल और उनके कुटुम्बजन

पौत्र, पौत्री, दोहिता, और दोहिति
श्रीमती मैना बाईसा के साथ उनके ननंद श्रीमती कमला बाईसा और जीवी बाईसा


Saturday, 20 January 2018

खेल महोत्सव 2018


 सभी बन्धुगनों को प्रणाम
जैसे की आप जानते है ब्राह्मण युवा संगठन प्रति वर्ष क्रिकेट खेल का आयोजन करता आया हैं | इस वर्ष भी खेल का आयोजन किया गया किन्तु खेल को क्रिकेट तक सीमित ना रखते हुए इसका विस्तार कर अन्य खेलों को भी शामिल कर मकर संक्रान्ति के पावन पर्व पर इसे एक महोत्सव का स्वरुप दिया गया | जिसे "खेल-महोत्सव" का नाम दिया गया क्यूंकि यह एक दिन नहीं बल्कि तीन दिन तक (14 Jan to 16 Jan 2018) चलता रहा |
खेल-महोत्सव के आयोजन पर विचार मंथन दो मास पूर्व आरम्भ हुआ | इसके लिए हमने सबसे पहले सह-संयोजक टीम बनाई | जिसमे राजेश पालीवाल, दिनेश भट्ट, योगेश जोशी, नन्द कुमार जोशी, राहुल गेलावत, मयूर उपाध्याय, निर्मला बोहरा और संगीता उपाध्याय को सहयोगी बनाया | हम सभी सहयोगी समयानुसार कभी शुक्रवार के दिन मरीना बीच पर तो कभी विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग द्वारा विचारों का आदान प्रदान करते | सबसे पहले हम सभी के बीच दीपावली पर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन पर सहमति बनी | किन्तु वर्षा और तूफ़ान जैसी स्थिति बन जाने के कारण स्थगित कर आगे के कार्यक्रम पर रणनीति बनाना तय हुआ |
इस बार हम खेल में चेस, कैरम, थ्रोबाल, रंगोली, वॉलीबॉल, बैडमिंटन, और क्रिकेट को भी शामिल किए | क्यूंकि मकर संक्रान्ति के पर्व पर बच्चो के विद्यालयों का अवकाश होता हैं और इस कारण महिलाएं भी गृह कार्यों से शीग्र निवृत्ति हो जाती है तो उनका इन खेलों में भाग लेना सुविधाजनक होगा जान 14,15, और 16 तारीख निश्चय कर खेलों की सूचि को बांटा |
कार्यक्रम के आयोजन में हमे कई समस्याओं का सामना करना पडा | हमारे सहयोगीयों को अपने निजी और पारिवारिक कारणों के कारन आयोजन से दूर होना पडा | अब कार्य भार हम दो तीन सहयोगियों को उठाना पडा | अटल विश्वास और समाज को आगे रख हमने इस भार को भी उठाना स्वीकार किया और चल पड़े | शहर में महंगाई और खेलों के लिए उचित स्थान मिलना कठिन लग रहा था तो हम मफसिल की ओर देखना प्रारम्भ किए | तभी एक दिन रोशन सिलोरा ने हमे एक नव निर्मित बैडमिंटन स्टेडियम के उदघाटन होने की सुचना दी | हम अपने सहयोगियों के साथ उस स्टेडियम को देखने गए और देखते ही वह स्टेडियम हमे रास आ गया | बैडमिंटन के लिए हमने क्रिश्नापुरम (पोन्नेरी) स्थित इस नवनिर्मित बैडमिंटन इंडोर स्टेडियम को ही चुना | अब समय रणनीति बनानी थी की कैसे खेल का आयोजन किया जाय ताकि व्यवस्था भी हो सके और आयोजन भी बिना कठिनाई के हो सके | तो हम सबने निर्णय लिया की सारे खेल पोन्नेरी में ही किया जाय ताकि व्यवस्था और आयोजन दोनों पर अपनी पकड़ रख सके | 14 जनवरी को बैडमिंटन,वॉलीबाल 15 जनवरी को चेस, कैरम, थ्रोबाल, रंगोली और 16 जनवरी को क्रिकेट खेल का आयोजन करने का निश्चय हुआ |
13 जनवरी मध्यकाल समय में हम अपने सहयोगी मयूर उपाध्याय, और राहुल गेलावत के साथ आयोजन स्थल पर पहुंचे | आयोजन स्थल का निरिक्षण कर हम सब रात रोशन सिलोरा के यहाँ बिताए | 14 जनवरी उत्साह और उमंग से भरपूर हम सभी सहयोगी लगभग आठ बजे बैडमिंटन स्टेडियम पहुँचे | एक के बाद  एक प्रतियोगियों का आगमन होना प्रारंभ हुआ | सभी के नेत्रों में खेल के प्रति उत्साह और अपनों से मिलने का सुख साफ़-साफ़ झलक रहा था | सभी एक दुसरे से ऐसे मिल रहे थे जैसे कई वर्षों से बिछडे हुए है और आज मिलना का अवसर प्राप्त हुआ हैं | हर जगह हंसी टिटोली के साथ खेल के प्रति उनका रूचि भी देखने को मिली | कोई सेल्फी लिए जा रहा था तो कोई भव्य आयोजन देख अपना उत्साह रोक नहीं पा रहा था |
इस बार के खेल-महोत्सव में प्रथम बार समाज की महिलाएँ और लड़कियों ने भी खेल में रूचि दिखाते हुए भाग लिया | जहां महिलाओं को घूँघट और कुछ स्थानों या रिवाजों के नाम पर सीमित किया जा रहा था वही उनका यु खुल कर खेलों में भाग लेना हमारे लिए कोई उपलब्धि से कम नहीं था | महिलाएं और लड़कियों ने भी बैडमिंटन में भाग लिया और जम कर अवसर का लाभ उठाया | पुरुषों का डबल्स और महिलाओं का सिंगल्स गेम खेला गया | पुरुषों और महिलाओं के खेल में जबरदस्त टक्कर का खेल चला | पुरुष डबल्स में दर्शन सिलोरा और महेश उपाध्याय की जीत हुई तथा भरत सिलोरा और हर्षित सिलोरा दुसरे स्थान पर आए | वही महिलाओं में तुलसी शर्मा पहले स्थान पर और चांदनी उपाध्याय दुसरे स्थान पर आई |मुख्य अथिति के रूप में श्रीमान घीसुलाल सा पलिवाल को आमन्त्रित किया गया |





बैडमिंटन प्रतियोगिता के समापन के पश्चात भोजन की व्यवस्था की गई | भोजन उपरान्त वॉलीबाल प्रतियोगिता खेला गया | जिसमे चार टीमों ने भाग लिया | प्रतियोगिता भी बड़े ही रोमांचक होते हुए अपने आखरी चरण पर पहुंचा | कांटे का संघर्ष के बाद भरत सिलोरा और उनकी टीम ने जीत का परचम लहराया | वही रोशन जोशी और उनकी टीम दुसरे स्थान पर आए |

14 जनवरी के खेल का समापन के पश्चात अगले दिन 15 जनवरी को शतरंज, कैरम, महिलओं के लिए थ्रोबाल और रंगोली प्रतियोगिता पोन्नेरी स्थित अन्ना आदर्श स्कूल के मैदान में रखी गई | थ्रोबाल प्रतियोगिता में महिलाओं ने जम कर आनंद उठाया | तीन टीमों में से बिन्दु भट्ट की टीम प्रथम रही | वही चन्द्रकला बोहरा की टीम दुसरे स्थान पर रही | मुख्य अथिति के रूप में श्रीमान उत्तमचंद सा उपाध्याय और श्रीमती सुज्ञा बाई को आमन्त्रित किया गया |

थ्रोबाल के समापन के पश्चात कैरम और शतरंज प्रतियोगिता आरम्भ की गई | कैरम का खेल कुछ लम्बा गया किन्तु मजे लूटने में किसी ने कमी नहीं दिखाई | वही शतरंज के फाइनल में करन उपाध्याय और आनंद शर्मा के बीच कांटे की रही | करन उपाध्याय ने यह साबित कर दिया की, उम्र से नहीं बल्कि खिलाड़ी अपने खेल से जाना जाता हैं | कैरम में रोनक बोहरा प्रथम और भरत सिलोरा द्वित्य स्थान पर वही शतरंज में आनंद शर्मा प्रथम और करन उपाध्याय द्वित्य स्थान पर रहा |



भोजन उपरांत रंगोली प्रतियोगिता आरम्भ हुआ | रंगोली प्रतियोगिता के लिए हर टीम को एक घंटा का समय दिया गया | प्रतियोगिता आरम्भ होते ही उत्साह से भरपूर प्रतियोगी जुट गए अपने कार्य पर | मैदान के आँगन को रंगों से भरा देख नैन भी कौतुहल से इधर उधर मटके जा रही थी | एक घंटा पश्चात प्रतियोगियों के निवेदन पर 15 मिनट और दिया गया | बिन्दु भट्ट की टीम और चन्द्रकला बोहरा की टीम ने गणपति को आधार रख सुन्दर रंगोली बनाई | मिनाक्षी सिलोरा की टीम ने "बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ" आधारित रंगोली बनाई तो मालती पालिवाल और वंदना पालिवाल की टीम ने विविध स्वरुप के आकार की रंगोली बनाई |




आकार, रंगों के मिश्रण, और सफाई के मापदंड देख श्रीमती मिनाक्षी सिलोरा की टीम को विजेता घोषित किया गया |
खेल महोत्सव 2018 के तीसरे और आखरी दिन क्रिकेट का खेल आयोजित किया गया | क्रिकेट का खेल वीरापुरम गाँव स्थित MVR Cricket Ground में खेला गया | आठों टीमों के बीच जैसा युद्ध सा छिड गया | बिगुल बजते ही हर टीम दुसरे टीम को मात देने को अग्रसर हो गई | कोई अंक अर्जित कर रहा था तो कोई रन रेट पर अपनी दृष्टि गडाए जा रहा था | अंत में जय हिन्द पल्टन और गो रॉयल्स के बीच फाइनल का मैच खेला गया | रोमांच और उत्साह से भरपूर यह अन्तिम मैच किसी वर्ल्ड कप फाइनल से कम नहीं था | अन्तिम ओवर तक यह मैच कभी इसके पलड़े में तो कभी उसके पलड़े में जाता रहा | अंत में जीत जय हिन्द पल्टन की रही जो अपना ध्यान और मैच पर पकड़ बनाए रखा | सुदर्शन शर्मा के शानदार बल्लेबाजी का प्रदर्शन के कारन (जय हिन्द पल्टन के खिलाड़ी) उनको क्रिकेट टूर्नामेंट का महानायक घोषित किया गया | खेल महोत्सव के अन्तिम दिन के मुख्य अथिति के रूप में श्रीमान संजय सा त्रिवेदी और श्रीमान प्रकाश पुट्टी जी को आमन्त्रित किया गया |




इसी के साथ खेलमहोत्सव 2018 कार्यक्रम संपन्न हुआ |

कुछ महत्वपूर्ण व रोचक बातें :-

समाज में पहली बार - इतने बड़े खेल का आयोजन हुआ जो किसी महोत्सव से कम नहीं था |
समाज में पहली बार - समाज के महिलाओं ने भी खेलों में उत्साह और उमंग के साथ भाग लिया |
समाज में पहली बार - कोई खेल कार्यक्रम का आयोजन हुआ जो तीन दिनों तक चला |
समाज में पहली बार - अपने ही समाज के युवाओं ने इतने प्रतियोगिता में भाग लिया हो |

अंत में मैं परमानन्द उपाध्याय ब्राह्मण युवा संगठन का संयोजक के नाते अपने सभी सहयोगी राजेश कुमार पालिवाल, योगेश जोशी, नन्द किशोर जोशी, मयूर उपाध्याय, राहुल गेलावत, दिनेश भट्ट, संगीता उपाध्याय और निर्मला बोहरा को धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने इस खेल महोत्सव के आयोजन में अपना सहयोग दिया और इनके अलावा मैं श्रीमान रोशन सा सिलोरा का विशेष रूप से धन्यवाद अर्पित करता हूँ जिन्होंने हमारी आवश्यकता के अनुसार सहायता की | इनके अलावा मैं अजीत जोशी, येशवंत जोशी, मोहित जोशी, सुदर्शन उपाध्याय, शुभम व्यास और उनके सहित सभी बन्धुओं को भी धन्यवाद अर्पित करता हूँ जिन्होंने खेलों को उचित ढंग से समापन करने में हमारे सहभागी रहे | उनके सहभागी के बिना इस खेल महोत्सव का इतने उत्साहपूर्वक रूप से समापन होना शायद ही हो पाता |
आशा करता हूँ की अगली बार महिलाएँ अपना संकोच त्याग कर और अधिक प्रतियोगी के रूप में भाग लेंगे | इतने बड़े स्वरुप में खेल महोत्सव के आयोजन पर त्रुटी या कोई चूक होना स्वाभाविक हैं | यदि कोई त्रुटी हमारे जाने या अनजाने से हुई हो तो दोनों हाथ जोड़ हम क्षमा की याचना करते हैं | हमारा प्रयास रहा हैं की हम हर प्रकार की त्रुटी पर अपनी दृष्टि गडाए रखें | फिर भी यदि कोई त्रुटी होई हो तो हमारे प्रति किसी प्रकार का द्वेष या क्रोध को स्थान ना दे कर विवेक पूर्वक अपनी बात रखें |


मन की बात
:

खेल महोत्सव के प्रतियोगिता के अवसर पर हमने कुछ बातों पर अपनी दृष्टि जमाई और देखा की कुछ बातें जो घटित हो रही है वह ब्राह्मण युवा संगठन के लक्ष्य को विपरीत दिशा कि ओर ले जा रही हैं | हमारा लक्ष्य समाज के सभी युवाओं को संगठित करना हैं | परन्तु प्रतियोगिता के समय घुट बाजी देखने को मिली | यह घुट बाजी ही है जो हमारे समाज को दीमक की भाँती एक दुसरे से विलग किए जा रही हैं | प्रतियोगिता के समय सभी अपने अपने एरिया के प्रतियोगी को ही प्रोत्साहन देते देखने को मिले | यह भले ही उस क्षण के लिए सही लग रहा हो किन्तु समय उपरांत यही एक दुसरे के प्रति द्वेष का रूप ले लेता हैं | यह लक्षण युवाओं को जोड़ता नहीं बल्की तोड़ता हैं | एक एरिया और दुसरे एरिया के बीच बैर उत्पन्न करता हैं | आशा करता हूँ की आप हमारे इस विचार पर मनन करेंगे और सजग हो युवाओं को एक सूत्र में बाँधने में हमारी सहायता करेंगे |

हमारा क्रम रहा हैं की हम बिना किसी के पूछे संगठन का खाता बही समाज के सामने रख देते हैं | हर बार की तरह इस बार भी हम संगठन का खाता बही इस लेख के साथ प्रेषित कर रहे हैं |